यहाँ बरेली के 7 नाथ प्रसिद्ध मंदिर है। आपको यहाँ अनेको प्राचीन मंदिर मिल जायेंगे । अहिच्छत्र के प्राचीन किले शहर का आवास, जहां से बरेली प्रभावशाली साम्राज्य की सीट के रूप में कार्य करता था।

इस क्षेत्र में एक अद्वितीय शिव प्रभाव भी है। यहाँ  7  नाथ भगवान (शिव) के मंदिर शहर के चारों कोनों पर स्थित हैं। अलखा नाथ, त्रिवटीनाथ, मढ़ीनाथ और धोपेश्वर नाथ, बंखंडीनाथ, तपेश्वर नाथ और पशुपति नाथ मंदिर और इसलिए बरेली को नाथ नगरी (शिव का शहर ) के नाम कहा जाता है।

1-मढ़ीनाथ मंदिर  पश्चिम दिशा में स्थित यह प्राचीन मंदिर पांचाल नगरी में है। ऐसा माना जाता रहा है कि यह मंदिर 5000 साल से भी ज्यादा पुराना है, कहते है मढ़ीनाथ मंदिर के शिवलिंग की स्थापना पांडवों ने अपने वनवास के दौरान की थी।मंदिर के पुजारी का कहना है कि यहां

1-मढ़ीनाथ मंदिर  मणिधारी नाग शिवलिंग की रक्षा करता है। मंदिर परिसर में ही रहने वाले एक बाबा ने बताया कि ऐसे कई मौके आए जब मणिधारी नाग ने अपनी मणि बाहर निकाली, इससे तेज रोशनी भी हुई।

1-मढ़ीनाथ मंदिर  बताया जाता है कि वर्तमान में इस नाग ने मंदिर परिसर के एक जीर्ण हो चुके कमरे में डेरा डाल रखा है। पिछले दिनों जब इस कमरे का कूड़ा निकालने के लिए लोग भीतर गए तो उन्हें नाग का सामना करना पड़ा। इस पर उक्त कमरे का जीर्णोद्धार रोक दिया गया।जिस इलाके में ये मंदिर स्थित है। उस इलाके को मढ़ीनाथ मोहल्ले के नाम से जाना जाता है।

2-धोपेश्वर नाथ मंदिर बरेली के सदर कैंट के दक्षिण मध्य अग्निकोण में ये मंदिर स्थित है। कहते है कि धूम्र ऋषि ने यहां कठोर तपस्या की थी और उनके द्वारा की गयी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपने दर्शन दिए और धूम्र ऋषि ने भगवान से जनकल्याण के लिए यहीं विराजने की प्रार्थना की

3-धोपेश्वर नाथ मंदिर जिसके बाद यहां स्थापित धूम्रेश्वर नाथ के नाम से जाना जाने लगा। वर्तमान में ये मंदिर धोपेश्वर नाथ नाम से जाना जाता है।इसके साथ ही एक अन्य कथा ये भी है कि इस स्थल पर महाभारत युग में द्रौपदी और धृष्टद्युम्न का जन्म स्थल है ।

2-धोपेश्वर नाथ मंदिर द्रौपदी और धृष्टद्युम्न दोनों को भगवान शिव की कृपा से पैदा हुआ माना जाता था। जिस कारण यह मंदिर भगवान धोपेश्वरनाथ को समर्पित है।

3-त्रिवटी नाथ मंदिर  त्रिबटी नाथ मंदिर उत्तर कुबेर दिशा प्रेमनगर में ये भव्य मंदिर स्थापित है। कहा जाता है कि यहां भगवान शिव ने खुद प्रकट होकर तीन वटों के नीचे सो रहे एक चरवाहे को उसके सपने में दर्शन दिए और कहा कि यहां पर मैं स्थित हूं।

3-त्रिवटी नाथ मंदिर  नींद से जागने के बाद चारवाह ने भगवान का आदेश मानकर त्रिवट के नीचे खुदाई की तो उसे शिवलिंग के दर्शन हुए।

3-त्रिवटी नाथ मंदिर  इस प्रकार हिंदू कैलेंडर के अनुसार विक्रम संवत १४७४ प्राकृतिक शिव के रूप में बाबा त्रिवती नाथ जी भगवान का उदीयमान (प्रकात्य) वर्ष है।

3-त्रिवटी नाथ मंदिर  यह स्थान धीरे-धीरे पूजा का केंद्र बन गया। जिसके कारण इस मंदिर का नाम त्रिवटी नाथ मंदिर पड़ा।

4-तपेश्वर नाथ यह शहर का सबसे पुराना मंदिर है,दक्षिण भूतनाथ सुभाष नगर वीर भट्टी मैदान के पास के इलाके में स्थित ये मंदिर कई ऋषियों और संतों की तपोस्थली रहा है। आधुनिक और पुरानी दोनों गतिविधियाँ के चलते इस मंदिर का नाम तपेश्वर नाथ मंदिर पड़ा।

5-अलखनाथ मंदिर उत्तर पश्चिम दिशा में ये मंदिर किला, बरेली के पास नैनीताल रोड पर स्थित है। अलखनाथ मंदिर का इतिहास 930 साल से भी ज्यादा पुराना रह चूका है। एक स्थानीय कहावत के अनुसार, किला क्षेत्र प्राचीन काल में घने जंगलों से घिरा हुआ था।

5-अलखनाथ मंदिर इलाके में स्थित है। इस अलख नाथ मंदिर नागा संन्यासियों के आनंद अखाड़ा आदेश का मुख्यालय है। शिव भक्तों के इस क्रम के सदस्यों को नागा बाबा के नाम से भी जाना जाता है।

5-अलखनाथ मंदिर बाबा कालू गिरि मंदिर के वर्तमान महंत हैं । मुगलकाल में जब सनातन संस्कृति को नष्ट किया जा रहा था। तो धर्म की रक्षा के लिए आनंद अखाड़े के बाबा अलाखिया को यहां भेजा गया। शिव के अनन्य भक्त बाबा अलाखिया ने यहां भगवान शिव की कठोर तपस्या कर शिवलिंग की स्थापना की।

5-अलखनाथ मंदिर जिसके बाद मुस्लिम शासक बाबा के तपोवन में प्रवेश नहीं कर पाए। अलाखिया बाबा के नाम पर ही मंदिर का नाम अलखनाथ मंदिर पड़ा। यहां आज भी मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है का बोर्ड लगा हुआ है।

6-वनखंडी नाथ मंदिर  और यहाँ कठोर तपस्या करते थे। उनमें से कई ने मंदिर में समाधि भी ले ली। समाधि आज भी मंदिर परिसर में देखि जा सकती हैं। माना जाता है कि राजा द्रुपद की पुत्री द्रोपदी ने अपने राजगुरु द्वारा शिवलिंग की विधिवत पूजा अर्चना कर प्राण प्रतिष्ठा कराई थी।

6-वनखंडी नाथ मंदिर  और कहा यह भी जाता है। उस समय यहां से गंगा माँ होकर गुजरती थी, लेकिन आज मन्दिर परिसर में एक सूखा तालाब ही शेष है

6-वनखंडी नाथ मंदिर  और कहा यह भी जाता है। उस समय यहां से गंगा माँ होकर गुजरती थी, लेकिन आज मन्दिर परिसर में एक सूखा तालाब ही शेष है

7-पशुपति नाथ मंदिर  पशुपतिनाथ मंदिर, जिसे जगमोहनेश्वरनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, यह मंदिर सात नाथ मंदिरों में सबसे नया है। इस मंदिर में भगवान पशुपतिनाथ भगवान शिव के एक अवतार को समर्पित है ।

7-पशुपति नाथ मंदिर  यह मंदिर पीलीभीत बाईपास रोड पर स्थित है। इसकी पशुपतिनाथ मंदिर की स्थपना 2003 में शहर के एक निर्माता द्वारा बनाया गया था। मंदिर के निर्माण में लगभग एक वर्ष से अधिक का समय लगा। यहाँ के शिवलिंग स्थापित मुख्य मंदिर के अंदर पंचमुखी (पांच सामना), के समान के रूप में है।