कुछ यू बदल रही है अपने बरेली की तस्वीर Some u Are Changing the Picture of Your Bareilly
घंटाघर बरेली(Ghantaghar Bareilly)?
बात उस समय की है जब ब्रिटिश काल के समय वर्ष 1868 कुतुबखाना तिराहा एक टाउन हॉल हुआ करता था। जोकि अंग्रेजो का कार्यालय हुआ करता था।
बात उस समय की है जब ब्रिटिश काल के समय वर्ष 1868 कुतुबखाना तिराहा एक टाउन हॉल हुआ करता था। जोकि अंग्रेजो का कार्यालय हुआ करता था।
घंटाघर बरेली(Ghantaghar Bareilly)?
समय के साथ टाउन हॉल खत्म हुआ और साल 1975 में इसी जगह अपर घंटाघर का निर्माण किया गया। उस टाइम लोगो को घडी देखने की आवश्यकता ही नहीं होती थी क्युकी इसमें लगा अलार्म (साइरन) हर घंटे बजता था।
समय के साथ टाउन हॉल खत्म हुआ और साल 1975 में इसी जगह अपर घंटाघर का निर्माण किया गया। उस टाइम लोगो को घडी देखने की आवश्यकता ही नहीं होती थी क्युकी इसमें लगा अलार्म (साइरन) हर घंटे बजता था।
घंटाघर बरेली(Ghantaghar Bareilly)?
परन्तु यह मुख्य बाज़ार होने व इसकी देख रेख न होने के कारन यह दुर्दशा का शिकार हो गया। जिसके कारण घंटाघर का वक़्त थमता चला गया और इसमें लगा साइरन पहले ख़राब हुआ
परन्तु यह मुख्य बाज़ार होने व इसकी देख रेख न होने के कारन यह दुर्दशा का शिकार हो गया। जिसके कारण घंटाघर का वक़्त थमता चला गया और इसमें लगा साइरन पहले ख़राब हुआ
घंटाघर बरेली(Ghantaghar Bareilly)?
उसके बाद इसकी घडी ख़राब हो गयी। जिसके बाद इसने अपनी मरम्मत के इंतज़ार में बंद(ठप) हो गयी।
उसके बाद इसकी घडी ख़राब हो गयी। जिसके बाद इसने अपनी मरम्मत के इंतज़ार में बंद(ठप) हो गयी।
घंटाघर बरेली(Ghantaghar Bareilly)?
बताते चले कि चेन्नई की कंपनी इंडियन क्लॉक्स के द्वारा घंटा घर में लगयी गयी घडी को माइल्ड स्टील फुटग्रेड इम्पोर्टेड एक्रेलिक डायल विथ रोमन नंबर का इसमें इस्तेमाल किया गया है।
बताते चले कि चेन्नई की कंपनी इंडियन क्लॉक्स के द्वारा घंटा घर में लगयी गयी घडी को माइल्ड स्टील फुटग्रेड इम्पोर्टेड एक्रेलिक डायल विथ रोमन नंबर का इसमें इस्तेमाल किया गया है।
घंटाघर बरेली(Ghantaghar Bareilly)?
बताते चले हर घंटे पर इसका भी अलार्म बजता है जोकि कम से कम 500 मीटर तक सुनाई देता है। इसमें खास बात ये है कि इसका 24 घंटे का बैटरी बैकअप जोकि आटोमेटिक है।
बताते चले हर घंटे पर इसका भी अलार्म बजता है जोकि कम से कम 500 मीटर तक सुनाई देता है। इसमें खास बात ये है कि इसका 24 घंटे का बैटरी बैकअप जोकि आटोमेटिक है।
घंटाघर बरेली(Ghantaghar Bareilly)?
जो बंद होने पर फिर से पुनः शुरू होकर फिर से अपना सही वक़्त बताने लगती है।
जो बंद होने पर फिर से पुनः शुरू होकर फिर से अपना सही वक़्त बताने लगती है।
कमिशनरी (Commissary)?
कहते है चौकी चौराहा के पास स्थित commissary सरदार नवाब खान बहादुर खान के मददगार 257 क्रांतिकारियों को सन 1860 में एक साथ फांसी दे दी गयी थी। commissary में एक बरगद के पेड़ के नीचे उन्हें फांसी पर लटकाया गया था।
कहते है चौकी चौराहा के पास स्थित commissary सरदार नवाब खान बहादुर खान के मददगार 257 क्रांतिकारियों को सन 1860 में एक साथ फांसी दे दी गयी थी। commissary में एक बरगद के पेड़ के नीचे उन्हें फांसी पर लटकाया गया था।
कमिशनरी (Commissary)?
जिससे पेड़ की डाली टूट गयी और फिर अंग्रेजो ने उन्हें फिर से दूसरी डाल पर लटका कर फांसी दी गयी। परन्तु समय बदला और पेड़ सुख गया और उसे काट दिया गया, जिसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है।
जिससे पेड़ की डाली टूट गयी और फिर अंग्रेजो ने उन्हें फिर से दूसरी डाल पर लटका कर फांसी दी गयी। परन्तु समय बदला और पेड़ सुख गया और उसे काट दिया गया, जिसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है।
हाफिज रहमत खान का मकबरा (Tomb of Hafiz Rahmat Khan)?
मुग़ल शाशन काल के समय रुहेलखंड एक स्वतंत्र राज्य बनकर उभरा। जिसकी राजधानी बरेली को बनाया गया। बात 1940 के वक़्त की है जब अली मुहम्मद को शासक बनाया गया
मुग़ल शाशन काल के समय रुहेलखंड एक स्वतंत्र राज्य बनकर उभरा। जिसकी राजधानी बरेली को बनाया गया। बात 1940 के वक़्त की है जब अली मुहम्मद को शासक बनाया गया
हाफिज रहमत खान का मकबरा (Tomb of Hafiz Rahmat Khan)?
और उनके द्वारा राजधानी बरेली को आवला में ट्रांसफर या स्थानांतरित कर दिया।
और उनके द्वारा राजधानी बरेली को आवला में ट्रांसफर या स्थानांतरित कर दिया।
हाफिज रहमत खान का मकबरा (Tomb of Hafiz Rahmat Khan)?
1749 अली मुहम्मद के इंतकाल के बाद उनके बेटो के देखभाल करने वाले हाफिज रहमत खान को रुहेलखंड का शासक बनाया गया। सन 1774 शुआउदौला और ब्रिटिश कंपनी की संयुक्त सेना से युद्ध में हाफिज हार गए
1749 अली मुहम्मद के इंतकाल के बाद उनके बेटो के देखभाल करने वाले हाफिज रहमत खान को रुहेलखंड का शासक बनाया गया। सन 1774 शुआउदौला और ब्रिटिश कंपनी की संयुक्त सेना से युद्ध में हाफिज हार गए
हाफिज रहमत खान का मकबरा (Tomb of Hafiz Rahmat Khan)?
और उन्होंने मिरानपुर कटरा में जाके उन्होंने अपने प्राणो का त्याग कर दिया। उनका मकबरा आज भी हुसैन बाग में मौजूद है।
और उन्होंने मिरानपुर कटरा में जाके उन्होंने अपने प्राणो का त्याग कर दिया। उनका मकबरा आज भी हुसैन बाग में मौजूद है।
हाफिज रहमत खान का मकबरा (Tomb of Hafiz Rahmat Khan)?
ब्रिटिश काल में ब्रिटिशर थॉमस एंड विलियम ने 22 मई 1789 को उनके मकबरे की बहुत ही सुन्दर पेंटिंग बनवाई थी। जिसको उनके आसपास के इलाको में दर्शया गया था।
ब्रिटिश काल में ब्रिटिशर थॉमस एंड विलियम ने 22 मई 1789 को उनके मकबरे की बहुत ही सुन्दर पेंटिंग बनवाई थी। जिसको उनके आसपास के इलाको में दर्शया गया था।
हाफिज रहमत खान का मकबरा (Tomb of Hafiz Rahmat Khan)?
किन वक़्त के साथ अब इस मकबरे की हालत भी बेहद नाज़ुक हो चली है। दीवारे उखड चुकी है और सिर्फ अब एक गेट और मकबरे का कुछ हिस्सा ही बाकी रह गया है।
किन वक़्त के साथ अब इस मकबरे की हालत भी बेहद नाज़ुक हो चली है। दीवारे उखड चुकी है और सिर्फ अब एक गेट और मकबरे का कुछ हिस्सा ही बाकी रह गया है।
हाफिज रहमत खान का मकबरा (Tomb of Hafiz Rahmat Khan)?
मकबरे वाली जगह पर लोगो के द्वारा अवैध कब्ज़ा कर लिया गया है। हालाँकि प्रशासन द्वारा इसे संरक्षित करने का कई बार प्रयास किया गया जो कि विफल रहा।
मकबरे वाली जगह पर लोगो के द्वारा अवैध कब्ज़ा कर लिया गया है। हालाँकि प्रशासन द्वारा इसे संरक्षित करने का कई बार प्रयास किया गया जो कि विफल रहा।
कोतवाली (Kotwali)?
कोतवाली सभी ने देखा होगा जोकि अपने शहर के लगभग बीचो-बीच में मौजूद है। ब्रिटिश काल के समय में कुतुबखाना से शास्त्री मार्किट की तरफ जाने वाले मार्ग पर अक़ब कोतवाली स्थित थी।
कोतवाली सभी ने देखा होगा जोकि अपने शहर के लगभग बीचो-बीच में मौजूद है। ब्रिटिश काल के समय में कुतुबखाना से शास्त्री मार्किट की तरफ जाने वाले मार्ग पर अक़ब कोतवाली स्थित थी।
कोतवाली (Kotwali)?
ये वही जगह है जहा पर 1860 में रुहेला सरदार नवाब खान बहादुर खान को अंग्रेजो ने सबके सामने फांसी दे दी गयी थी।
ये वही जगह है जहा पर 1860 में रुहेला सरदार नवाब खान बहादुर खान को अंग्रेजो ने सबके सामने फांसी दे दी गयी थी।
कोतवाली (Kotwali)?
अंग्रेजो की सरकार में पेंशनर होने के बाद भी उनके द्वारा 1857 में क्रांति का बिगुल फुका और क्रांतिकारिओं के नेतृत्व कर स्वतंत्रता के इस आंदोलन को एक अन्य आयाम दिया।
अंग्रेजो की सरकार में पेंशनर होने के बाद भी उनके द्वारा 1857 में क्रांति का बिगुल फुका और क्रांतिकारिओं के नेतृत्व कर स्वतंत्रता के इस आंदोलन को एक अन्य आयाम दिया।
कोतवाली (Kotwali)?
उन पर कार्यवाहक कमिश्नर रुखेलखण्ड डब्ल्यू राबर्ट, मुरादाबाद के जज ए शेक्शपीयर जज, और बरेली के जज ए वनिस्ट्रेट के द्वारा उनपर मुकदमा चलाया गया।
उन पर कार्यवाहक कमिश्नर रुखेलखण्ड डब्ल्यू राबर्ट, मुरादाबाद के जज ए शेक्शपीयर जज, और बरेली के जज ए वनिस्ट्रेट के द्वारा उनपर मुकदमा चलाया गया।
कोतवाली (Kotwali)?
लगभग साल भर रुहेलखंड को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद रखने वाले रुखेला सरदार नवाब खान बहादुर खान को जिस अक़ब कोतवाली में फांसी दी गयी थी वह भवन अब पूरी तरह से खस्ताहाल की स्थिति में है।
लगभग साल भर रुहेलखंड को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद रखने वाले रुखेला सरदार नवाब खान बहादुर खान को जिस अक़ब कोतवाली में फांसी दी गयी थी वह भवन अब पूरी तरह से खस्ताहाल की स्थिति में है।
कोतवाली (Kotwali)?
जिसके अंतर्गत पुरानी कोतवाली के कुछ हिस्सों में से दो मीनारे पश्चिम और पूर्व और ऊपरी दिशा में कंगूरे दिखाई देते है।
जिसके अंतर्गत पुरानी कोतवाली के कुछ हिस्सों में से दो मीनारे पश्चिम और पूर्व और ऊपरी दिशा में कंगूरे दिखाई देते है।
कोतवाली (Kotwali)?
जिसके अंतर्गत पुरानी कोतवाली के कुछ हिस्सों में से दो मीनारे पश्चिम और पूर्व और ऊपरी दिशा में कंगूरे दिखाई देते है।
जिसके अंतर्गत पुरानी कोतवाली के कुछ हिस्सों में से दो मीनारे पश्चिम और पूर्व और ऊपरी दिशा में कंगूरे दिखाई देते है।
कोतवाली (Kotwali)?
इसमें आज भी कुछ दुकाने चलती है। परन्तु समय बदला और अब यह छेत्र की चपेट में आ चूका है। भवन की स्थित गिरताऊ हालत में है। जिसका कुछ ऊपरी हिस्सा गिर भी चूका है।
इसमें आज भी कुछ दुकाने चलती है। परन्तु समय बदला और अब यह छेत्र की चपेट में आ चूका है। भवन की स्थित गिरताऊ हालत में है। जिसका कुछ ऊपरी हिस्सा गिर भी चूका है।