सभी जानते है कि अपने बरेली शहर के चारों कोनों में भगवान भोलेनाथ का वास है।जिस कारण बरेली को नाथ नगरी के नाम से भी जाना जाता है।

इन सात नाथ मंदिरों में किसी के भी द्वारा शिवलिंग को स्थापित नहीं किया और सभी मंदिरों में शिवलिंग की अपनी-अपनी महत्ता है। यह सात नाथ शिवलिंग स्वयंभू(खुद ही प्रकट हुए) है।

शहर में स्थित मढ़ीनाथ, अलखनाथ, बनखंडीनाथ, त्रिवटीनाथ और तपेश्वरनाथ समेत सभी नाथ मंदिरों में महाशिवरात्रि पर पूजा-अर्चना व भोलेनाथ के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ एक दिन पहले से ही लगना शुरू हो जाती है।

वनखंडी नाथ मंदिर? इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की खासियत यह है कि वह दिन में तीन बार रंग बदलती है। कहा जाता है कि ये अति प्राचीन मंदिर स्थित है। बनखंडी नाथ मंदिर का संबंध द्वापर युग से भी है।

वनखंडी नाथ मंदिर? इस मंदिर का निर्माण द्वापर युग में हुआ था। मंदिर में बड़ी संख्या में साधु-संत एकत्रित होते थे। और यहाँ कठोर तपस्या करते थे।

मढ़ीनाथ मंदिर? पश्चिम दिशा में स्थित यह प्राचीन मंदिर पांचाल नगरी में है। ऐसा माना जाता रहा है कि यह मढ़ीनाथ मंदिर 5000 साल से भी ज्यादा पुराना है,

मढ़ीनाथ मंदिर? मढ़ीनाथ मंदिर के शिवलिंग की स्थापना पांडवों ने अपने वनवास के दौरान की थी।

मढ़ीनाथ मंदिर? यहां मणिधारी नाग शिवलिंग की रक्षा करता है। मंदिर परिसर में ही रहने वाले एक बाबा ने बताया कि ऐसे कई मौके आए जब मणिधारी नाग ने अपनी मणि बाहर निकाली, इससे तेज रोशनी भी हुई।

अलखनाथ मंदिर? उत्तर पश्चिम दिशा में ये मंदिर किला, बरेली के पास नैनीताल रोड पर स्थित है। अलखनाथ मंदिर का इतिहास 930 साल से भी ज्यादा पुराना रह चूका है। एक स्थानीय कहावत के अनुसार, किला क्षेत्र प्राचीन काल में घने जंगलों से घिरा हुआ था। इलाके में स्थित है।

अलखनाथ मंदिर? शिव के अनन्य भक्त बाबा अलाखिया ने यहां भगवान शिव की कठोर तपस्या कर शिवलिंग की स्थापना की। जिसके बाद मुस्लिम शासक बाबा के तपोवन में प्रवेश नहीं कर पाए।

अलखनाथ मंदिर? अलाखिया बाबा के नाम पर ही मंदिर का नाम अलखनाथ मंदिर पड़ा। यहां आज भी मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है का बोर्ड लगा हुआ है।

धोपेश्वर नाथ मंदिर ? बरेली के सदर कैंट के दक्षिण मध्य अग्निकोण में ये मंदिर स्थित है। कहते है कि धूम्र ऋषि ने यहां कठोर तपस्या की थी और उनके द्वारा की गयी

धोपेश्वर नाथ मंदिर ? तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपने दर्शन दिए और धूम्र ऋषि ने भगवान से जनकल्याण के लिए यहीं विराजने की प्रार्थना की।

धोपेश्वर नाथ मंदिर ? जिसके बाद यहां स्थापित धूम्रेश्वर नाथ के नाम से जाना जाने लगा। वर्तमान में ये मंदिर धोपेश्वर नाथ नाम से जाना जाता है।

धोपेश्वर नाथ मंदिर ? इस स्थल पर महाभारत युग में द्रौपदी और धृष्टद्युम्न का जन्म स्थल है । द्रौपदी और धृष्टद्युम्न दोनों को भगवान शिव की कृपा से पैदा हुआ माना जाता था। जिस कारण यह मंदिर भगवान धोपेश्वरनाथ को समर्पित है।

पशुपति नाथ? पशुपतिनाथ मंदिर, जिसे जगमोहनेश्वरनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, यह मंदिर सात नाथ मंदिरों में सबसे नया है। इस मंदिर में भगवान पशुपतिनाथ (जो नेपाल में है)

पशुपति नाथ? भगवान शिव के एक अवतार को समर्पित है । यह मंदिर पीलीभीत बाईपास रोड पर स्थित है। इसकी पशुपतिनाथ मंदिर की स्थापना 2001 में हुई थी।

पशुपति नाथ? यह कैलाश पर्वत से लाए हुए पत्थर स्थापित कैलाश मे किया गया है। जोकि शहर के एक निर्माता द्वारा बनाया गया था। मंदिर के निर्माण में लगभग एक वर्ष से अधिक का समय लगा। यहाँ के शिवलिंग स्थापित मुख्य मंदिर के अंदर पंचमुखी (पांच सामना), के समान के रूप में है।

तपेश्वर नाथ? ह शहर का सबसे पुराना मंदिर है,दक्षिण भूतनाथ सुभाष नगर वीर भट्टी मैदान के पास के इलाके में स्थित ये मंदिर कई ऋषियों और संतों की तपोस्थली रहा है। यहाँ शिवलिंग पर सिर्फ जल चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं

तपेश्वर नाथ? भक्त की हर मनोरथ पूरी होती हैं। आधुनिक और पुरानी दोनों गतिविधियाँ के चलते इस मंदिर का नाम तपेश्वर नाथ मंदिर पड़ा।