Navratri 2022 इस नवरात्री में करे बरेली के 5 देवियों के दर्शन होगी हर मनोकामना पूरी: नमस्कार मित्रो कैसे है आप सभी आशा करता हु कि आप सभी बहुत अच्छे होंगे। दोस्तों Navratri 2022 इस नवरात्री में करे बरेली के इन 5 देवियों के दर्शन होगी हर मनोकामना पूरी, जैसा कि हम सभी जानते है कि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से माँ के शारदीय नवरात्र आरम्भ हो जाते हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रो का बहुत ही ज्यादा महत्व है।
ये नवरात्र कुल 9 दिनों का होते है और इन 9 दिनों के नवरात्रो में माँ के 9 रूपों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। जिसके अन्तर्गत भक्त जन देवी मां को प्रसन्न करने के लिए उपवास भी रखते हैं। वही कुछ लोग नवरात्री के पहले और आखिरी दिन का उपवास करते है तो कुछ लोग 9 दिनों तक का उपवास रखते है।
ऐसा माना जाता है कि माँ के शारदीय नवरात्रो के दौरान विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करने से भक्त जनो की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। जानकारी के लिए बताते चले कि पिछले साल कोरोना संक्रमण के चलते नवरात्र में किसी प्रकार की कोई तयारी मंदिरो में नहीं की गयी थी। परन्तु इस बार ऐसा नहीं है। इस बार बरेली शहर के समस्त बड़े-बड़े मंदिरो को सजाया जा रहा हैं।
तो चलिये ज्यादा देर नहीं करते है और आपको बताते है बरेली शहर के वह मुख्य मंदिर जिनका नवरात्री में इन 5 देवियों के दर्शन मात्र से आपकी हर मनोकामना पूरी हो जाएगी।
नवदुर्गा मंदिर ?
शहर के साहूकारा स्थित नवदुर्गा मंदिर अपने आप में ही अलौकिक शक्तियों का केंद्र है। गोरक्षनाथ आश्रम से जुड़े इस मंदिर की स्थापना वर्ष 1965 में ब्रह्मालीन महंत काशीनाथ जी के द्वारा हुई थी। इस मंदिर के महंत के द्वारा बताया गया हैं कि मां की कृपा से स्वप्न साकार हुआ है,
जो भी भक्त इस नवदुर्गा मंदिर में आएंगे, उनको मनवांछित फल प्राप्त होगा। कहते है कि यहां अगर कोई भक्तजन 40 दिनों तक मंदिर की आरती में शामिल होते हैं, उनको मनवांछित फल मां से प्राप्त होता है। नवरात्र में यहां भक्त कीर्तन करके अपना जीवन सफल बनाते हैं। यहाँ आपको माँ के नौ रूपों का दर्शन एक साथ होता है।
कहा जाता है कि यहाँ महंत एक दिन भैरो मंदिर में विश्राम कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें सपने में माता दुर्गा ने दर्शन देकर नौ देवियों की स्थापना कराने आदेश उन्हें दिया। जिसके बाद उन्होंने माँ के द्वारा दिए गए आदेशों का पालन करते हुए मंदिर की स्थापना कराई। उन्होंने अपने एक पैर पर खड़े रहकर 14 दिन तक तपस्या की।
यहाँ के महंत रविंद्र नाथ ने बताया कि मां से मांगी गई मनोकामना पूरी होने के पश्चात यहाँ भक्त माता के दरबार में हाजिरी लगाने अवश्य आते हैं। जिसके बाद भक्तजन मंदिर को मांगी गई मुराद के हिसाब से कुछ न कुछ जरूर करते है। यहाँ पर मंदिर के घंटे, फर्श व अन्य कई सामान भक्तों ने ही उपलब्ध कराए हैं। यहाँ नवरात्रो में भक्तजनो की अपार भीड़ पहुंचती है।

84 घंटा मंदिर?
शहर में सुभाषनगर के बदायू रोड पर स्थित 84 घंटा मदिर मां दुर्गा का बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर को 84 घंटा मंदिर के नाम से जाना जाता है। 84 घंटा मंदिर को बेहद चमत्कारी मंदिर माना जाता है। मान्यता के अनुसार यहां पर माँ के दर्शन मात्र से ही सभी लोगों की मन की मुरादें पूरी हो जाती हैं। जिसके बाद भक्तजन देवी माँ के मंदिर में घंटा चढ़ाते है। वर्तमान में इस मंदिर में लगभग दो लाख एक हजार 264 घंटे हैं।
मंदिर में जल रही अखंड ज्योति
नवरात्रो में भक्तों का लगता तांता है
मंदिर का इतिहास

मां काली देवी ?
मां काली देवी का यह प्राचीन मंदिर सैकड़ों सालों से भक्तों की आस्था का मुख्य केंद्र रहा है। नवरात्रो में तो तो यहां माँ के दर्शन करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। लोग यहाँ शहर के अलावा अन्य जिले से भी माँ के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। और पूजा-अर्चना कर मां का आशीर्वाद लेते हैं। कहा जाता है कि यहां सिर्फ माँ के दर्शन-पूजन मात्र से ही मां काली की कृपा भक्तों पर बरसने लगती है और उनकी सभी मुरादें मां काली पूरी करती हैं।
बरेली के कालीबाड़ी क्षेत्र में मां काली देवी का लगभग ढाई सौ साल पुराना प्राचीन मंदिर है. वैसे तो इस मंदिर में हमेशा ही भक्तों की भीड़ रहती है, लेकिन नवरात्रि के समय यहां भक्तों की लंबी कतारें मां के दर्शन के लिए लगती है. भक्त मां काली देवी के मंदिर में आकर उनके दर्शन कर पूजा-अर्चना करते हैं।

ललिता देवी मंदिर ?
ललिता देवी मंदिर यह मंदिर शहर के नेकपुर के इलाके में स्थित है। भक्तो के लिए ललिता देवी माता मंदिर आस्था का केंद्र शुरू से रहा हैं। कहा जाता है कि यहाँ लगभग 500 साल पहले लोग इस क्षेत्र में चेचक जैसी गंभीर बीमारी से बहुत ज्यादा पीड़ित रहते थे। यह बीमारी जब अपना और असर दिखने लगी तो लोगों को यहां माता के प्रकट होने का आभास हुआ।
जिसके बाद यहाँ जमीन की खुदाई करने पर माता ललिता देवी की मूर्ति निकली। जिसके बाद लोगों के द्वारा उस मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा करके पूजा अर्चन शुरू कर दिया। तो बीमारियो का प्रक्रोप दूर होने लगा। तभी से मां के प्रति लोगों की आस्था बढ़ी और सिद्धपीठ के रूप में यह मंदिर विख्यात हो गया।
इस नेकपुर में रहने वाले लोगो के परिवारों में से कोई ना कोई सदस्य नियमित तौर पर मंदिर जरूर जाता है। और वह मां ललिता देवी को खीर पूड़ी का भोग लगाने के बाद पूरा परिवार मंदिर में एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करता हैं। कहवत के अनुसार मंदिर में गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति यदि मां के दर्शन करने पहुंचता है तो उसके रोग दूर हो जाते हैं। और वह एक दम स्वस्थ हो जाता है।

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